Friday, May 22, 2009

सीबीएसई बताएगी कौन सा स्कूल कितना

जिस तरह से यूनिवर्सिटीज़ और कॉलिजों को ग्रेडिंग मिलती है, उसी तर्ज पर अब सीबीएसई स्कूलों का असेसमंट करेगी। सीबीएसई कीयोजना पहले प्राइवट स्कूलों पर लागू होगी। अगले छह महीने के भीतर स्कूलों के एक्रिडेशन और असेसमंट के लिए गाइडलाइंस तैयार हो जाएंगी, सीबीएसई ने इसके लिए एक हाई लेवल कमिटी का गठन भी कर दिया है।
सीबीएसई के चेअरमन विनीत जोशी ने बताया कि कमिटी में आईआईएम बेंगलुरु, नैक, यूजीसी और सीबीएसई के प्रतिनिधि शामिल हैं। उनका कहना है कि ग्रेडिंग का आधार स्कूलों की क्वॉलिटी एजुकेशन, टीचर- स्टूडंट रेश्यो, इंफ्रास्ट्रक्च&# 2352;, टीचिंग रहेगा। चेअरमन जोशी के मुताबिक अगले ऐकडेमिक सेशन से ग्रेडिंग शुरू की जा सकती है और इसके लिए पहले स्कूलों में आम सहमति बनाए जाने का कोशिश भी की जा रही है।
ग्रेडिंग का ब्लूप्रिंट स्कूलों को भी भेजा जाएगा और फर्स्ट फेज में सीबीएसई से संबद्ध प्राइवट स्कूल ही इस प्रोसेस में शामिल किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्कूलों की ग्रेडिंग की प्रक्रिया और गाइडलाइंस पर अंतिम फैसला कमिटी की रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा। किस पॉइंट को कितना महत्व मिले, कमिटी इन सब बातों पर गौर करेगी। सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि ग्रेडिंग सिस्टम का मकसद केवल यह बताना है कि स्कूलों में एजुकेशन का स्टैंडर्ड क्या है और पेरंट्स को स्कूल की सही जानकारी मिल सके।
जानकारों के मुताबिक यह कदम बेहतर साबित होगा और स्कूलों में सुधार की प्रक्रिया भी तेज हो सकेगी। सरकारी स्कूलों की ग्रेडिंग के बारे में सीबीएसई का कहना है कि प्राइवट स्कूलों पर प्रयोग किए जाने के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। स्कूलों के बीच इस सिस्टम को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए सीबीएसई एक अभियान भी चलाएगी और स्कूलों को इस सिस्टम के फायदे के बारे में बताया जाएगा।
सीबीएसई का मानना है कि सुधार की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए और यह कदम इसी को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि नैक तमाम यूनिवर्सिटियों और कॉलिजों को ग्रेडिंग देती है और इससे उस शिक्षण संस्थान की एक पब्लिक इमिज बनती है।

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